Sunday, July 11, 2010

तितलियां और चमन!

चमन में गुलों का नसीब होता है,
जंगली फ़ूल पे कब तितिलियां आतीं है।

कातिल अदा आपकी निराली है,
हमें कहां ये शोखियां आतीं हैं।

एक अरसे से मोहब्बत खोजता हूं,
अब कहां तोतली बोलियां आतीं है!

गद्दार हमसाये पे न भरोसा करना,
प्यार के बदले में, गोलियां आतीं हैं।

घर मेरा खास था, सो बरर्बाद हुया,
हर घर पे कहां बिजलियां आतीं हैं?


Will also be available soon on   www.sachmein.blogspot.com

13 comments:

Jandunia said...

शानदार पोस्ट

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बढ़िया ग़ज़ल..

सुधीर राघव said...

जंगली फ़ूल पे कब तितिलियां आतीं है।

bahut khoob.

पॉल बाबा का रहस्य आप भी जानें
http://sudhirraghav.blogspot.com/

sanu shukla said...

बहुत सुन्दर ...

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा!!

गद्दार हमसाये पे न भरोसा करना,
प्यार के बदले में, गोलियां आतीं हैं।

-बहुत खूब!

वाणी गीत said...

गद्दार हमसाये पे न भरोसा करना,
प्यार के बदले में, गोलियां आतीं हैं।

घर मेरा खास था, सो बरर्बाद हुया,
हर घर पे कहां बिजलियां आतीं हैं?

वाह ...!

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

गद्दार हमसाये पे न भरोसा करना,
प्यार के बदले में, गोलियां आतीं हैं।
अच्छे शेरों में ये खास तौर पर पसंद आया

shama said...

घर मेरा खास था, सो बरर्बाद हुया,
हर घर पे कहां बिजलियां आतीं हैं?
Wah! Kya khyal hai! Gaddar Hamsaya....! Yah bhi bahut anootha khayal hai!
Sochti rah jati hun,ki,yah sab kaise likh jate hain aap?

दिगम्बर नासवा said...

एक अरसे से मोहब्बत खोजता हूं,
अब कहां तोतली बोलियां आतीं है!

बहुत खूब ... आज कल वो भोली भाली बाते कहाँ ... लाजवाब शेर हैं सब ...

Neeraj Kumar said...

अच्छी रचना है... अनूठे बिम्ब-प्रतिबिम्ब हैं...

VIVEK VK JAIN said...

very nice...
heart touching....

Vinay said...

बहुत ख़ूब

Pushpendra Singh "Pushp" said...

एक अरसे से मोहब्बत खोजता हूं,
अब कहां तोतली बोलियां आतीं है!
lajabab ......gajal
aap ko dil se
badhaiyan................