Thursday, April 8, 2010

रुसवाईयाँ..!

अब रुसवाईयों से क्या डरें ?
जब तन्हाईयाँ सरे आम हो गयीं ?
खता तो नही की थी एकभी ,
पर सजाएँ सरे आम मिल गयीं !
काम बनही गया,जो रुसवा कर गए,
ता-उम्र तन्हाई की सज़ा दे गए..!

7 comments:

निर्झर'नीर said...

अब रुसवाईयों से क्या डरें ?
जब तन्हाईयाँ सरे आम हो गयीं ?

sundar gahre bhaav ,bahut din baad aapko padhne ka mauka mila .bahut accha laga .

कडुवासच said...

...बहुत सुन्दर!!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत शब्दों में अपने भाव भरे हैं...बधाई

Reetika said...

atyant UMDA!!

Reetika said...

atyant UMDA!!

वाणी गीत said...

काम बन ही गया जो रुसवा कर गए ...
बदनाम हुए तो क्या नाम ना हुआ ...
यह फलसफा भी जीवन का कम नहीं ...!!

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

vaah!