tag:blogger.com,1999:blog-5841085546359509860.post4081954455693565386..comments2023-10-10T02:40:54.602-07:00Comments on Kavita: पेहचाना मुझे?shamahttp://www.blogger.com/profile/15550777701990954859noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5841085546359509860.post-40420993179253021962009-05-31T11:29:48.519-07:002009-05-31T11:29:48.519-07:00कितनी आप बीतियाँ सुना गईं आप इस रचना में ।पर थोडी ...कितनी आप बीतियाँ सुना गईं आप इस रचना में ।पर थोडी लंबी कम रखतीं तो अच्छा होता ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5841085546359509860.post-84151369310948459402009-05-27T09:29:47.489-07:002009-05-27T09:29:47.489-07:00क्या जबाब हो सकता है ? फिर भी ...
जिन्दगी ऐसे कटी...क्या जबाब हो सकता है ? फिर भी ...<br /><br />जिन्दगी ऐसे कटी <br />आहों में कोई बाँहों में कोई <br />तुम भी भरम, दुनिया भरम<br />कोई नहीं ना ही राहें कोई <br /><br />जैसे भी जब भी बन पडी <br />दर पे तेरे गुजार दी <br />तुम भी तो क्या निभाओगे <br />हम ही करेंगे वादा कोई .<br /><br /><br />जलती रही शमा कोयी <br />के महफ़िल बनी सजी रहे <br />वरना कहीं ,आँगन कोई <br />तू भी संवारती कोई <br /><br />अपनी ही रोशनी कोयी <br />भीतर उतार देख ले <br />तुझपे उधार था कोई ?<br />तुझपे उधार है कोयी ?'sammu'https://www.blogger.com/profile/14229365402897819232noreply@blogger.com